Friday, October 9, 2015

जरूरी बात

रामायण,महाभारत या 
सत्यवादी राजा हरीशचंद्र की कथायें पढ़ते जाने से 
उनके तजुर्बे अब कभी 
सीधे तुम्हारे जीवन में काम नहीं आते 
वे कथायें कभी चित्र थीं 
अब महज रीतता रेंखाकन मात्र रह गयीं हैं 
इसलिये दूसरों के तजुर्बों को न जमा करो 
अपने  तजुर्बे के वटवृक्ष को 
अपने ही वक़्त और रक्त से सींच कर बड़ा करो

वैसे भी गाड़ी में किसी के पीछे बैठ जाने से 
रास्ते कट तो जाते हैं 
पर याद नहीं रह पाते, अपने नहीं हो जाते।  
और जीवन में उधारी के या चुराये हुए तजुर्बे
कभी मंजिल तक नहीं पहुंचा पाते 
वक़्त आने पर तुम्हें 
प्रश्नों के चौराहे पर या जंगल बियांबन में छोड़ जाते हैं। 

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