वे उसके चश्में के नहीं
आँखों के लैंस थे
जो तुमने फोड़ दिये
इस घिनौनी साजिश के साथ
कि कहीं तुम्हारी दी यातनाओं के अक्स
उसके बच्चों में न उतर जाएँ प्रतिशोध बन।
मगर जाओ और जा कर देखो
कि सदियों से सुप्त पड़ा क्रांति बीज
उसके रक्त से सिंचित हो
एक रक्तिम गुलाब बन चुका है
तुम्हारे वजूद को धिक्कारता।
आँखों के लैंस थे
जो तुमने फोड़ दिये
इस घिनौनी साजिश के साथ
कि कहीं तुम्हारी दी यातनाओं के अक्स
उसके बच्चों में न उतर जाएँ प्रतिशोध बन।
मगर जाओ और जा कर देखो
कि सदियों से सुप्त पड़ा क्रांति बीज
उसके रक्त से सिंचित हो
एक रक्तिम गुलाब बन चुका है
तुम्हारे वजूद को धिक्कारता।
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