साँस
साँस दर साँस
सिर्फ़ अपनी एक साँस के साथ
हम .. क्या ? क्या ?
नहीं लटकाते जाते -
धन,सम्पति,भूत,भविष्य,नाते,रिश्ते,कसमेंऔर वायदे भी।
नहीं जानते कि अगली साँस शायद आयेगी भी या नहीं?
हम जानते हैं कि
सब कुछ बदल जायेगा उसके रूकते ही
फिर भी हम
उसके साथ जीवन भर
लगातार लटकते-लटकाते जाते हैं
कैसे-कैसे ?
भार और भार और भार.....
लगातार।
---------- सुरेन्द्र भसीन
साँस दर साँस
सिर्फ़ अपनी एक साँस के साथ
हम .. क्या ? क्या ?
नहीं लटकाते जाते -
धन,सम्पति,भूत,भविष्य,नाते,रिश्ते,कसमेंऔर वायदे भी।
नहीं जानते कि अगली साँस शायद आयेगी भी या नहीं?
हम जानते हैं कि
सब कुछ बदल जायेगा उसके रूकते ही
फिर भी हम
उसके साथ जीवन भर
लगातार लटकते-लटकाते जाते हैं
कैसे-कैसे ?
भार और भार और भार.....
लगातार।
---------- सुरेन्द्र भसीन
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