तुम कहीं भी रहो
और चाहो या न चाहो,
तुम्हारे कर्मों से उपजे पाप-पुण्य के प्रभाव अनंत तक
करते हैं तुम्हारा पीछा -
अपना बदला चुक जाने तक -
याफिर आत्मा निर्लेप,रंगहीन,भारहीन,तरल-सरल हो जाने तक।
चाहे अभी तुम गगन में उड़ते उन्मुक्त पंक्षी हो,
चाहे वन में विहार करते सिंह हो या उसके शावक,
चाहे सरकारी वायुयान में ठसके से चलते कोई
देवी-देवता समान राजनेता।
अगर ये तुम्हारे पुण्यों का फल है तो
किए गए पाप की छायाएँ भी कहीं समीप ही हैं
अपनी बारी का इंतजार में डोलतीं -भट्कतीं।
जो अनजाने में सतायी गयीं चींटी के श्राप से भी निकल-उभर ले सकतीं हैं तुम्हारे वृहद भीमकाय पाप का आकार और
यकायक तुम्हें लील लेती है शनि की छाया बनकर
या फिर राहु-केतु का प्रभाव बनकर।
कर्मों की गति के प्रभाव में
सब होता और बदलता जाता है लगातार...... ।
इसलिए कुछ भी करने से पहले
ऊपर आकाश से धरा पर गिरने के प्रभाव को आंको,
और भविष्य में अपनी दुर्गति के अहसास में झांको ।
और चाहो या न चाहो,
तुम्हारे कर्मों से उपजे पाप-पुण्य के प्रभाव अनंत तक
करते हैं तुम्हारा पीछा -
अपना बदला चुक जाने तक -
याफिर आत्मा निर्लेप,रंगहीन,भारहीन,तरल-सरल हो जाने तक।
चाहे अभी तुम गगन में उड़ते उन्मुक्त पंक्षी हो,
चाहे वन में विहार करते सिंह हो या उसके शावक,
चाहे सरकारी वायुयान में ठसके से चलते कोई
देवी-देवता समान राजनेता।
अगर ये तुम्हारे पुण्यों का फल है तो
किए गए पाप की छायाएँ भी कहीं समीप ही हैं
अपनी बारी का इंतजार में डोलतीं -भट्कतीं।
जो अनजाने में सतायी गयीं चींटी के श्राप से भी निकल-उभर ले सकतीं हैं तुम्हारे वृहद भीमकाय पाप का आकार और
यकायक तुम्हें लील लेती है शनि की छाया बनकर
या फिर राहु-केतु का प्रभाव बनकर।
कर्मों की गति के प्रभाव में
सब होता और बदलता जाता है लगातार...... ।
इसलिए कुछ भी करने से पहले
ऊपर आकाश से धरा पर गिरने के प्रभाव को आंको,
और भविष्य में अपनी दुर्गति के अहसास में झांको ।
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