Wednesday, September 9, 2015

तुम्हारे अवसर


यह सही है 
इस भरे पूरे जहान में 
अनगिनत गतिविधियाँ पूरी होने को हैं तो 
असंख्य अधूरी भी बच रही हैं वक़्त की बाट जोहती
चुनौतियाँ बनीं तुम्हारे लिए।  
मगर तुम्हारे योग्य काम तो तब आयेगा 
जब यह जहान चाहेगा याकि तुम नहीं। 

वैसे तुम, 
कमान पर सधाये जाने वाले एक तीर ही हो याफिर
वक़्त पर काम आने के लिए 
हालातों की चादर फटी चादर पर लगाई जाने वाली 
महज एक कामचलाऊ पैबंद
जैसाकि कार्तिकेय था अपने समय में देवताओं के लिए याफिर
नहुष था इंद्र के सत्ताच्युत, पथभ्र्ष्ट हो जाने पर। 

  
तब नियति की मार से बौखलाए तुम में 
आया मौका ही तुम्हारा भाग्य या दुर्भाग्य होगा जोकि 
तुम्हें उठायेगा कार्तिकेय की तरह पूजनीय बनायेगा याफिर 
वासना-घमंड में डुबाकर सर्पयोनि में पहुँचायेगा 
बाकी जीवन रेंगने के लिए, 
यह तो तुम्हारा 
किया जाने वाला कर्म ही बतलाएगा।
















No comments:

Post a Comment