जो
अपनी नालायकियत
किस्मत या किसी शारीरिक कमजोरी से
कमजोर पड़ जाता है
संघर्ष नहीं कर पाता है
अपनों में पीछे रह जाता है,
दौड़ में नीचे रह जाता है
अपनी सच्चाई या सादगी की सजा पाता है,
संतोष नहीं कर पाता है
वही लड़ता है सदा....
अपनी खीझ उतारता
बेवजह बहस करता
तोड़ता है
टूटता ही जाता है सदा ....
गालियाँ देता -खाता
कहना न मानता
चिल्लाता-शोर मचाता
नाराज भी रहता है सदा....
वो, तुम भी हो
हो सकते हो बड़े,
छोटे बच्चे भी।
उसे सताओ मत,
उससे संवाद बैठाओ !
बच्चे /बड़े को
बचाओ !
-------------------- सुरेन्द्र भसीन
अपनी नालायकियत
किस्मत या किसी शारीरिक कमजोरी से
कमजोर पड़ जाता है
संघर्ष नहीं कर पाता है
अपनों में पीछे रह जाता है,
दौड़ में नीचे रह जाता है
अपनी सच्चाई या सादगी की सजा पाता है,
संतोष नहीं कर पाता है
वही लड़ता है सदा....
अपनी खीझ उतारता
बेवजह बहस करता
तोड़ता है
टूटता ही जाता है सदा ....
गालियाँ देता -खाता
कहना न मानता
चिल्लाता-शोर मचाता
नाराज भी रहता है सदा....
वो, तुम भी हो
हो सकते हो बड़े,
छोटे बच्चे भी।
उसे सताओ मत,
उससे संवाद बैठाओ !
बच्चे /बड़े को
बचाओ !
-------------------- सुरेन्द्र भसीन
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