Tuesday, November 5, 2019

समायिक प्रश्न

मुझे
मालूम है कि
प्रदूषण की विकरालता से जब
पूरी धरती तबाह होने को आयेगी
तो तब भी 
पीछे बचे चंद नकारा नपुंसक राजनैतिक बुड्ढे जो अपनी डालों(पदों)
से चिपटे काँव-काँव करते और
एक दूसरे पर दोषारोपण करते
यह तय नहीं कर पायेंगे कि
यह सब किसकी वजह से हुआ?
...आज प्रश्न बड़ा यह है कि-
मुश्किल यह प्रदूषण है याकि
काँव-काँव करते यह काइयाँ निठल्ले बुड्ढे?
निवारण पहले किसका किया जाये?
बचना, बचाना हमको किससे है?
धोना/रोना हमको किसको है?
     ------           सुरेन्द्र भसीन

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