Monday, July 15, 2019

वक़्त की मियाद

उन्होंने
मिलते ही कहा
"तुम्हारे लिए अलग से वक़्त निकालेंगे
बैठेंगे! बात करेंगें तुम पर तब..."
मैं सोचता हूँ
कि उनके पास वक़्त कहाँ?अब
वे तो अपने को जोर जोर से बजा रहे हैं
कहते जा रहे हैं,अपने को गा रहे हैं...
उनके पास किसी को सुनने का
वक़्त कहाँ रहा अब।
फिर  शायद वे जायेंगे
(लिफ्ट से कहीं ऊपर
और मैं रहूँगा यहाँ, नीचे...
पिताजी के साथ भी कहाँ जा पाया था..?
विधि का विधान..?
कि उसने उन्हें अकेले ही बुलाया था।)
न जाने किस रूप में
किस स्थान पर लौट के आयें
या आ भी न पायेंगें
कि बस
कल कल बहता वक़्त का जल हो जायेंगे...।
       -------        सुरेन्द्र भसीन

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