Wednesday, December 27, 2017

नफा-नुकसान ग़ज़ल

न नफा हुआ न नुकसान हुआ
बस हमारी वफ़ा का इम्तहान हुआ।
न हम हारे न जमाना जीता 
बस अपनी हैसियत का गुमान हुआ।
न जंगल कटा न बस्तियाँ बसीं
बस इलाका ही वीरान हुआ।
न नफरत घटी न मोहब्बत बड़ी
बस हसरतों का ही नुकसान हुआ।
चुप रहकर जो हमें रुसवा न किया
बस हम पर बड़ा अहसान हुआ।
----- सुरेन्द्र भसीन    

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