Saturday, September 9, 2017

बड़े की परिभाषा

आजकल किसी का
कुछ भी कहा 
किसी को भी
अच्छा  नहीं लगता
कोई कुछ सुनना नहीं चाहता।
सब चिड़चिड़ाए हैं और 
क्रोध में भरे हैं
अपने से खीझे
अपने से ही लड़े हैं। 
फिर कहते हैं हम
बड़े हैं .....
         ----------    -सुरेन्द्र भसीन

No comments:

Post a Comment