बार बार..लगातार...
मैं
तारकोल हूँ ?
रोड़ी-बजरी हूँ या
कुछ और.... ?
यह मुझे तो नहीं मालूम मगर
हर बार मैं ही राह बना दिया जाता हूँ....
झूठे वायदों,तरक्की व योजनाओं के
भारी-भरकम ट्रकों की राहों की
सड़क बना बिछा दिया जाता हूँ।
मुझसे होकर ही
वे गुजरते तो हैं
मगर पता नहीं वे कहाँ जाते हैं ?
कम से कम मेरे काम तो
वे नहीं आते हैं।
जब-जब मैं
टूट-फूट जाता हूँ,
उखड़ने लगता हूँ तब
कुछ और मेरे जैसे आ जाते हैं,
मिला दिए जाते हैं-
रोड़ी बनाकर,बजरी बनाकर, तारकोल मिलाकर
तरक्की, वायदों या योजनाओं की राहों में...
सोचता हूँ मैं
कि मेरे लिए यह समूचा वक़्त ही काला है
या मैं काला ही जन्मा हूँ ?
जो खुद न कहीं आता हूँ
न कहीं जाता हूँ
मगर दूसरों के लिए सदा
सड़क बना,
उनकी सुविधा बना,
तलुवों में बिछा दिया जाता हूँ
बार बार... लगातार..... ।
-------- सुरेन्द्र भसीन
मैं
तारकोल हूँ ?
रोड़ी-बजरी हूँ या
कुछ और.... ?
यह मुझे तो नहीं मालूम मगर
हर बार मैं ही राह बना दिया जाता हूँ....
झूठे वायदों,तरक्की व योजनाओं के
भारी-भरकम ट्रकों की राहों की
सड़क बना बिछा दिया जाता हूँ।
मुझसे होकर ही
वे गुजरते तो हैं
मगर पता नहीं वे कहाँ जाते हैं ?
कम से कम मेरे काम तो
वे नहीं आते हैं।
जब-जब मैं
टूट-फूट जाता हूँ,
उखड़ने लगता हूँ तब
कुछ और मेरे जैसे आ जाते हैं,
मिला दिए जाते हैं-
रोड़ी बनाकर,बजरी बनाकर, तारकोल मिलाकर
तरक्की, वायदों या योजनाओं की राहों में...
सोचता हूँ मैं
कि मेरे लिए यह समूचा वक़्त ही काला है
या मैं काला ही जन्मा हूँ ?
जो खुद न कहीं आता हूँ
न कहीं जाता हूँ
मगर दूसरों के लिए सदा
सड़क बना,
उनकी सुविधा बना,
तलुवों में बिछा दिया जाता हूँ
बार बार... लगातार..... ।
-------- सुरेन्द्र भसीन
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