परिस्तिथियाँ !
जब बह जाती हैं
वक़्त की समुद्री लहर में...
तो उतरती लहर
छोड़ जाती है -
प्लास्टिक बोतलें,पॉलीथिन,अदखाई कचरा चीजें,
गाली-गलोच, सड़े-संबंध और उड़ती दुर्गंध...
तन और मन अगर साफ़ हो तो -
पुराना दुख-वैमनस्य मिटाकर -नया-साफ़
फिर कुछ कहने-बताने को,
एक-दूजे को अपनाने को,
नयी इबारत, नये संबंध सजाने को ।
--------------- सुरेन्द्र भसीन
जब बह जाती हैं
वक़्त की समुद्री लहर में...
तो उतरती लहर
छोड़ जाती है -
प्लास्टिक बोतलें,पॉलीथिन,अदखाई कचरा चीजें,
गाली-गलोच, सड़े-संबंध और उड़ती दुर्गंध...
तन और मन अगर साफ़ हो तो -
पुराना दुख-वैमनस्य मिटाकर -नया-साफ़
फिर कुछ कहने-बताने को,
एक-दूजे को अपनाने को,
नयी इबारत, नये संबंध सजाने को ।
--------------- सुरेन्द्र भसीन
No comments:
Post a Comment