Wednesday, August 2, 2017

परिस्तिथियाँ !

परिस्तिथियाँ !

जब बह जाती हैं
वक़्त की समुद्री लहर में...
तो उतरती लहर
छोड़ जाती है -
प्लास्टिक बोतलें,पॉलीथिन,अदखाई कचरा चीजें,
गाली-गलोच, सड़े-संबंध और उड़ती दुर्गंध...
तन और मन अगर साफ़ हो तो -
पुराना दुख-वैमनस्य मिटाकर -नया-साफ़
फिर कुछ कहने-बताने को,
एक-दूजे को अपनाने को,
नयी इबारत, नये संबंध सजाने को ।
       ---------------              सुरेन्द्र  भसीन 

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