Saturday, May 7, 2016

आकार

आकार

यह
मैं, तुम  या
सारी फ़ैली-फलती कायनात नहीं
जर्रे-जर्रे में
कण-कण में
पल-प्रतिपल समय ही फल-फूल रहा है।

समय ही
जब बड़ा पूरा हो जायेगा
तो टूट कर, गुणांक होकर
पुनः जर्रे... जर्रे में,
कण-कण में
प्रदार्थ रूप लेता जायेगा......
सृष्टी बन जायेगा......
फिर महाकाल कहलायेगा......
                  --------                    सुरेन्द्र भसीन           

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