Saturday, February 13, 2016

तीसरा नेत्र/नीति

सरहद पार से 
दुश्मन ने यह भांप लिया है कि 
यह भावना प्रधान देश है, 
यहाँ हवा में चारों ओर भावनाएँ ही बहती हैं, 
लोगों की नस-नस में भावनाएँ ही घुली रहती हैं इसलिए 
वह इन्हीं पर चुन-चुन कर वार करता है और 
हम विचलित होकर उसकी नीच हरकतों का अनुसरण करने लगें 
इसी का बेसब्री से इंतजार करता है।   
वह चाहता है हम उसी जैसा आतंकी व्यवहार करें -
उसी की तरह वैमनस्य बोएँ, हिंसा काटें, हथियारों का व्यापार करें,
और उसी के पीछे चलते-चलते उसके ही सपनों को साकार करें। 

मगर अपने संस्कारों, पूर्वजों की शिक्षाओं को ध्यान में रखकर 
हमें अपना सय्यम नहीं खोना है- 
हमें एकजुट होकर, उसकी नीचता का प्रतिकार करना है, 
उसको विश्व परिदृश्य में अलग-थलग करके,
उसका बहिष्कार करना है।              -सुरेन्द 









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