देखा मैंने
पर्वत को पत्थर होते
पत्थर को गारा होते
गारे को सारा होते
सारे को मैंने देखा
अपने को गारा होते।
------
पहाड़ की बनती है रेत
रेत फिर बह जाती सागर में.…।
सागर से वह किनारे आती
और किनारे से.…।
… तो बच्चे अपने पाँओं पर लेकर नन्हे नन्हे ढूह बनाते
पहाड़ का मुँह चिढ़ाते।
-------
पर्वत को पत्थर होते
पत्थर को गारा होते
गारे को सारा होते
सारे को मैंने देखा
अपने को गारा होते।
------
पहाड़ की बनती है रेत
रेत फिर बह जाती सागर में.…।
सागर से वह किनारे आती
और किनारे से.…।
… तो बच्चे अपने पाँओं पर लेकर नन्हे नन्हे ढूह बनाते
पहाड़ का मुँह चिढ़ाते।
-------
No comments:
Post a Comment