Thursday, June 6, 2019

पता था उन्हें
कुछ भी लड़ने को नहीं है इस बार
न कहने को,न उलाहने को,
न हथियार और न ही कोई औजार...
फिर भी
आदतन,इरादतन वे
लड़ने को मजबूरी में हो गए तैयार
क्योंकि वे विपक्षी थे
और विरोध उनका धर्म...
हार निश्चित जानकर भी वे
चुप नहीं रह सकते थे
कौरवों के अभिनय में जो थे
सामने के अर्जुन से हारने को रहना था तैयार
राम-रावण युद्ध में अनचाहे ही
तोहमत हार की करनी थी स्वीकार
राजधर्म के चलते
अपने कर्मधर्म के चलते!
       ------       सुरेन्द्र भसीन

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