Wednesday, September 19, 2018

पाती

पाती

सब कुछ तो
कह नहीं दिया है मैंने
काफी कुछ
मिलने पर ही कह पाऊँगा...
तुम्हारे हाँ.. न..के स्वर-अनुस्वर और
आते-जाते चेहरे के भावों से
अपनी बातों का प्रभाव
अगर मैं समझ पाऊँगा तो
बाकी हाल-चाल भी बतिया पाऊंगा...
वक्त निकालकर मिलने आ जाओ
फोन पर ही सब दुख-सुख न समझा पाऊंगा...
अपने गाँव को कैसा शहरी रोग लगा है यह
थोड़े में कैसे समझाऊँगा?
अब बाकी जो कुछ बचा है मन में
सामने ही कह पाऊँगा...
उम्र भी नहीं बचा है कुछ ज्यादा
सुन लो!
वरना मैं यह बोझ अपने
साथ ही लेता जाऊँगा...
                  चला जाऊँगा।
        ---------     सुरेन्द्र भसीन

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