Wednesday, April 29, 2015

जो कुछ भी 
तुम्हारे पूर्वजनो ने किया है 
वह तुम्हारी देह मे रचा बसा है। 
सावधान ! 
अब जो कुछ भी तूम करने जा रहे हो 
तुम्हारी संतानों मे अवश्य ही जायेगा। 
प्रकृति के जियाले तो 
भूचालों में भी जी जाते हैं 
और जिन्हे मरना ही है 
वे बदनसीब तो 
अपने घहुटनो से गिरकर भी 
मृत्यु पाते हैं। 
बच्चे 
चाहे कितने भी क्यों न हों
बच्चों के लिए 
हर  बाप नये कपड़े ही बनवाता है
मगर बाप 
बच्चो के पुराने कपड़ों में ही  आ  जाता है।

परिवर्तन से  ही वक्त का पता चलता  है,
या परिवर्तन ही वक्त है। 

                   ००००० 

वक्त जीवन्तता पर 
अधिक असर करता है। 


०००००००० 

Monday, April 27, 2015

बीतता बचपन

अपनी 
गर्म चाय की प्याली में 
बिस्कुट गिराकर 
तुम फिर लाचार असहाय से 
इधर उधर देखने लगे हो 
कि कोई आये और तुम्हें इस बेस्वाद होती चाय 
से निजात दिलवाये। 
और लो तुम्हारे  ननहे  ने 
 चमच्च से,चाय  से  बिस्कुट निकालकर 
फिर  से कर  दी  है  सम्बन्धों की लकीर  लम्बी ,
मगर तुम समझ नहीं  रहे  हो  मेरे  पापा 
कि  चाय  में  बिस्कुट गिराने  की
अब  तुम्हारी  उम्रः नहीं  रही  है 
और चाय  से  बिस्कुट निकालते निकालते 
बुढ़ाने लगी हैं  उँगलियाँ 
तुम्हारे  नन्हे  की।