गुस्सा!
क्रोध करने का
किसी को शौक नहीं होता
परिस्थितियों वश या अभाव में आ जाता है
घने काले बादलों-सा
दिल-दिमाग के आकाश पर
जब वह छा जाता
सब कुछ दिखाई,सुझाई पड़ता है तब
उसके छंटने,बरसने के बाद...
सम्बन्धों में तबतक
दलदली,कीचडनुमा हो जाता है एक बार...
अब बस
समय व धूप ही
हटायेगी क्रोध का प्रभाव...।
----- सुरेन्द्र भसीन
क्रोध करने का
किसी को शौक नहीं होता
परिस्थितियों वश या अभाव में आ जाता है
घने काले बादलों-सा
दिल-दिमाग के आकाश पर
जब वह छा जाता
सब कुछ दिखाई,सुझाई पड़ता है तब
उसके छंटने,बरसने के बाद...
सम्बन्धों में तबतक
दलदली,कीचडनुमा हो जाता है एक बार...
अब बस
समय व धूप ही
हटायेगी क्रोध का प्रभाव...।
----- सुरेन्द्र भसीन
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