निठल्ला समय खो गया है
निठल्ला
समय
खो गया है
कि तुममें कोई
भागमभाग का पौधा बो गया।
अब यह जीवन
तुम्हारा नहीं रहा
न जाने कब से
पूरा का पूरा इस शहर का हो गया है।
अब रोने/पछताने से
कुछ न होगा
यह तो कब से
एक गोल रोटी का
गुलाम हो गया है।
---- सुरेन्द्र भसीन