Wednesday, October 23, 2019

अंदर से तो
आप समझते ही हैं कि आपके साथ क्या सही हो रहा है और
क्या गलत?
कौन सही कह कर रहा है और
कौन आपका सिर्फ मुँह धो रहा है? कौन वक्त पर काम आयेगा आपके
और कौन चला जायेगा
मुंह मोड़कर
बीच बियाबान छोड़ कर।
मग़र अहम में/तारीफ के
स्वाद में डूबे तुम उनसे
जो आप अपना पल्ला नहीं छुड़ाते हो तो कल यही तुम्हें काटेंगे आस्तीन के सांप बनकर
पद के मद में तुम्हें यह क्या नहीं सूझता?
कि आगे पश्चताप का बदबूदार नाला आने वाला है
जिसमें गिरकर तुम्हारा भूतकाल काला हो जाने वाला है।
         ------     सुरेन्द्र भसीन

Thursday, October 10, 2019

आँसू
तो राम की आँखों
में भी आये थे
सीता हरण के बाद।
जार जार भी रोये थे
लक्ष्मण मूर्छा के बाद।
व्यथित भी हो गए थे
अपने पिता के देहावसान के बाद।
तो क्या?
सब को संताप होता है
ये सभी कुछ होने के बाद...
मगर जीवन तो फिर भी चलता ही है
यह सब कुछ होने के बाद।
निर्मोही थे कृष्ण महाराज
क्षण भर में बिसार देते थे
यह सबकुछ होने के बाद।
      ------       सुरेन्द्र भसीन

Monday, October 7, 2019

उसने मुझे सिखाया
उसने मुझे समझाया
उसने मुझे करके भी बताया
मग़र मेरे समझ नहीं आया।
किंतु जब वो चली गई तो
उसके विरह के प्रकाश में
मुझे समझ आया कि
प्यार क्या है?
       -----     सुरेंद्र