हाँ को न
ज्यादा मीठा बोलने
पर भी
इर्द-गिर्द सिर्फ
कीड़े-मकोड़े ही जमा हो जाते हैं
जो काटते हैं, कौंचते हैं
चाटते हैं और फिर एक दिन
चट ही कर जाते हैं।
क्या आप ऐसा चाहते हैं?
अगर आप अपने लिए
अपने आपको बचाना चाहते हैं तो
जीवन में कभी-कभी
न कहना भी सीख जाईये।
मानो न मानो
न कहने से भी
आपकी हाँ का प्रभाव बढ़ता है
नहीं तो
आपकी हाँ से भी
आपके ढुलमुल रवैया का ही पता चलता है।
इसलिए अगर
चाहते हैं महत्व पाना तो
आपको कभी-कभी न भी
करनी चाहिए।
------- सुरेन्द्र भसीन
ज्यादा मीठा बोलने
पर भी
इर्द-गिर्द सिर्फ
कीड़े-मकोड़े ही जमा हो जाते हैं
जो काटते हैं, कौंचते हैं
चाटते हैं और फिर एक दिन
चट ही कर जाते हैं।
क्या आप ऐसा चाहते हैं?
अगर आप अपने लिए
अपने आपको बचाना चाहते हैं तो
जीवन में कभी-कभी
न कहना भी सीख जाईये।
मानो न मानो
न कहने से भी
आपकी हाँ का प्रभाव बढ़ता है
नहीं तो
आपकी हाँ से भी
आपके ढुलमुल रवैया का ही पता चलता है।
इसलिए अगर
चाहते हैं महत्व पाना तो
आपको कभी-कभी न भी
करनी चाहिए।
------- सुरेन्द्र भसीन