Saturday, August 27, 2016

भावनाएं  
बर्फ -सी जमीं होती हैं 
सभी के भीतर 
प्रेम-ऊष्मा से पिघलने को आतुर ...

पहले 
वे आद्र होंगी 
फिर वाष्प बनेंगी 
फिर हो जाएंगी ...
काफूर !
          -----       -सुरेंद्र भसीन